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April 29, 2024

दीन-बंधु के घर में झांको

जितनी बुरी कही जा रही उतनी बुरी नहीं है दुनियां

बच्चों के स्कूल में शायद तुमसे मिली नहीं है दुनियां

जैसी तुम्हें दिखाई दी है वही नहीं है सबकी दुनियां

प्रेम भाव से इसे सजाओ सत्संग में तुम खोजो

दुनियां

यूं लगता है जैसे तुमसे हिल-मिल कर नहीं चलती दुनियां

दौड़ रही है नभ के नीचे श्रम से निर्मित सुन्दर दुनियां

रावण जैसे उत्पाती से अबतक डरी नहीं है दुनियां

हंसती गाती बच्चों के संग ममता रूपी माँ सी दुनियां

प्रेम भरी मीठी वाणी से फलती फूलती सबकी दुनियां

“वैष्णव ज” की कुटिया में है नरसिंह मेहता वाली दुनियां

दीन-बंधु के घर में झांको देखो कैसी अद्भुत दुनियां

जितनी बुरी कही जा रही उतनी बुरी नहीं है दुनियां.

 

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